"यथा खरः चन्दन, भारवाही भारस्य वेत्ता न तु
चन्दनस्य।" अर्थात चन्दन की लकडियाँ ढोने वाला गधा, उसके मूल्य को नहीं
केवल उसके बोझ को समझ सकता है।
पथ उस राही का जिसे न मंजिल पता है और न ही राह। उसे बस चलना आता है। राही को साथ ले भी और अकेले भी।
Saturday, March 16, 2013
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