Friday, March 15, 2013

स्वतंत्रता और परतंत्रता में जो फर्क है वह है "स्व" एवं "पर" का। यदि आप स्वयं अपने राष्ट्र को अपना कर्तव्य, अपना सब कुछ मानते हैं, उसकी उन्नति में अपना योगदान देते हैं, तभी तो आप स्वतंत्र हुए। केवल आजादी ही इसका मतलब कैसे हुआ? यदि आपके मन माफिक, आपके कर्म से और आपके कर्तव्य से यह समाज नहीं चल रहा, यह राष्ट्र नहीं चल रहा तो आप परतंत्र हैं। आजादी का झूठा बोध अपने अन्दर न लेकर आयें। हर अधिकार एक कर्तव्य के साथ आता है; यदि कर्तव्य निर्वहन में हम कुछ नहीं कर रहे तो अधिकार में यथेच्छ कैसे मिलेगा। आपकी आजादी एक दिवा स्वप्न है। जब तक भारत का हर एक नागरिक कर्तव्य निर्वाह करने के लिए आगे नहीं बढेगा; तब तक वह परतंत्र है स्वतंत्र नहीं।

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